

उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान में आपका स्वागत है।
संस्कृत भाषा भारत की अमूल्य अनुपम निधि है। अनादि काल से हमारे देश के राष्ट्रीय जीवन पर उसका अपरिमित प्रभाव है। समस्त भारतीय साहित्य और संस्कृति उससे पूर्णतया अनुप्राणित है। 'देववाणी' पद से विभूषित संस्कृत आज भी भारतीय जनता के हृदय में श्रद्धा का संचार करती है। यह बलपूर्वक कहा जा सकता है कि आज भी संस्कृत, ग्रीक और लैटिन की अपेक्षा कहीं अधिक जीवन्त है। अंग्रेजी की अपेक्षा संस्कृत हम भारतीयों के जीवन को कहीं अधिक स्पर्श करती है। हमारा धार्मिक जीवन इसका ज्वलंत प्रमाण है। संस्कृत एक भाषा है। इसमें सदियों तक दर्शन, साहित्य, ललित कला, नीति शास्त्र, रसायन, पदार्थ शास्त्र, गणित, अंतरिक्ष विज्ञान, कृषि, आदि विषयों पर लेखन अध्ययन-अध्यापन तथा चिंतन होता रहा। यह ज्ञान वैभव आज भी संस्कृत ग्रन्थों में उपलब्ध है।
वेदों और उपनिषदों, रामायण और महाभारत, गीता तथा भागवत का आज भी देशव्यापी प्रचार है। हमारे देवालयों के स्वरूप, निर्माण की प्रक्रिया तथा तीर्थस्थलों का परिचय इसी भाषा में मिलते है। हमारे जातकर्म, उपनयन तथा विवाह आदि समस्त संस्कार तथा अन्य अगणित धार्मिक कृत्य संस्कृत में ही सम्पन्न होते है। भले ही संस्कृत का बाजार में या अदालत में विपुल प्रयोग न होता हो पर वह हमारी सांस्कृतिक भाषा है, हमारा विशिष्ट साहित्य उसी में लिखा गया है। जैनों के अधिकांश ग्रन्थ संस्कृत एवं प्राकृत में ही है। बौद्धों ने भी जब पालि तथा संस्कृत में अपने ग्रंथ रचे तो उसका व्यावहारिक तथा सामाजिक जीवन पर भी प्रभाव प्रत्यक्ष परिलक्षित होता है।